RBI Latest Rule: अगर बैंक डूब जाए तो कितने पैसे मिलेंगे वापस? जानें RBI के नए नियम

RBI Latest Rule : बैंकिंग सेक्टर हमारी वित्तीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाए या डूब जाए, तो आम ग्राहकों के लिए सबसे बड़ा सवाल होता है – उनके जमा पैसे का क्या होगा?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस विषय में नए नियम बनाए हैं, जो जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने में सहायक होंगे। इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि अगर आपका बैंक डूब जाए, तो आपको कितनी राशि वापस मिलेगी और इसके लिए कौन-कौन से नियम लागू होते हैं।

1. डिपॉज़िट इंश्योरेंस क्या है?

RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारत में सभी कमर्शियल बैंक और को-ऑपरेटिव बैंक डिपॉज़िट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत आते हैं। DICGC एक बीमा एजेंसी है, जो बैंक के डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करती है। इसके तहत हर ग्राहक को अधिकतम 5 लाख रुपये की गारंटी मिलती है, जिसमें मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल होते हैं।

2. अगर बैंक दिवालिया हो जाए तो क्या होगा?

अगर कोई बैंक वित्तीय संकट में आ जाता है और RBI उसे दिवालिया घोषित करता है, तो DICGC के नियम लागू होते हैं। इस स्थिति में:

  • जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये तक की राशि बीमित होती है।
  • बैंक बंद होने के 90 दिनों के भीतर बीमित राशि वापस की जाती है।
  • अगर आपके खाते में 5 लाख से अधिक जमा है, तो बाकी राशि बैंक के लिक्विडेशन प्रोसेस के तहत ही वापस मिल सकती है, जो एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है।

3. कौन-कौन से खाते कवर होते हैं?

DICGC के तहत निम्नलिखित जमा खाते कवर किए जाते हैं:

  • बचत खाता (Saving Account)
  • चालू खाता (Current Account)
  • फिक्स्ड डिपॉज़िट (Fixed Deposit – FD)
  • रेकरिंग डिपॉज़िट (Recurring Deposit – RD)
  • अन्य प्रकार की जमाएं

4. क्या सभी बैंक इस नियम के तहत आते हैं?

भारत में कार्यरत लगभग सभी कमर्शियल बैंक और कुछ को-ऑपरेटिव बैंक DICGC के तहत आते हैं। हालांकि, कुछ विशेष बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFCs) इस सुरक्षा कवच के दायरे में नहीं आते।

5. अपने पैसों की सुरक्षा के लिए क्या करें?

अगर आप अपने जमा पैसों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  • अलग-अलग बैंकों में पैसे जमा करें: एक ही बैंक में बड़ी राशि जमा करने के बजाय, अलग-अलग बैंकों में पैसे रखने से जोखिम कम होता है।
  • सरकारी और प्रतिष्ठित बैंकों को प्राथमिकता दें: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आमतौर पर अधिक सुरक्षित होते हैं।
  • DICGC कवरेज वाले बैंक में ही खाता खोलें: खाता खोलने से पहले यह जांच लें कि बैंक DICGC बीमा के अंतर्गत आता है या नहीं।
  • संभावित वित्तीय संकट से बचने के लिए निवेश करें: सिर्फ बैंक में पैसे रखने के बजाय, अन्य निवेश विकल्पों पर भी ध्यान दें, जैसे कि म्यूचुअल फंड, सरकारी बॉन्ड और अन्य सुरक्षित निवेश साधन।

6. क्या जॉइंट अकाउंट पर भी बीमा लागू होता है?

हाँ, जॉइंट अकाउंट पर भी DICGC बीमा लागू होता है, लेकिन यह खाता धारकों की संख्या और उनके अलग-अलग खातों पर निर्भर करता है। यदि किसी व्यक्ति के एक से अधिक खाते हैं, तो प्रत्येक खाते के लिए 5 लाख रुपये की सीमा लागू नहीं होती, बल्कि कुल राशि पर यह सीमा लागू होती है।

7. DICGC क्लेम कैसे करें?

अगर किसी बैंक को दिवालिया घोषित किया जाता है, तो DICGC स्वचालित रूप से बीमित राशि का भुगतान करता है। इसके लिए जमाकर्ताओं को कोई अलग से दावा करने की आवश्यकता नहीं होती।

निष्कर्ष

RBI के नए नियमों के अनुसार, अगर कोई बैंक डूब जाता है, तो आपके 5 लाख रुपये तक की राशि सुरक्षित होती है। इसलिए, बैंक चुनते समय सतर्क रहें और DICGC के तहत बीमा सुरक्षा की जानकारी जरूर प्राप्त करें। इसके अलावा, अपने पैसों को अलग-अलग बैंकों में वितरित करने और अन्य सुरक्षित निवेश साधनों का उपयोग करने से वित्तीय जोखिम को कम किया जा सकता है।

अगर यह जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वे भी अपने पैसों को सुरक्षित रखने के सही तरीकों के बारे में जान सकें।

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